स्टैंड अप कॉमेड Star Bassi
स्टैंड अप कॉमेडी की दुनिया में आप ने देखा होगा की 80 या 90 के दशक से हिंदी फिल्मों में कॉमेडी की भी एक बड़ी भूमिका देखी गयी हैं, “Bas Kar Bassi Full Show” ये तो तय नहीं लेकिन 80 के दशक में जिन कलाकारों के कॉमेडी शोज के अभिनय और वीडियोस आने शुरू हुए उनमें जॉनी लीवर का नाम सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहा।
फिर राजू श्रीवास्तव आए। और, राजपाल यादव इन सब के बाद टेलीविजन के रियलिटी शोज में आने वाले लोगों ने तोहर्ष की दुनिया आग लगा दी आके। अगर अब हम किसी हिंदी जगत के हर्ष कलाकार का नाम लेते हैं तो वो कपिल शर्मा सबसे पहला नाम होता हैं।
स्टैंड अप कॉमेडी की दुनिया को कपिल ने और जाकिर खान, अभिषेक उपमन्यु, बिस्वा, कुशा कपिला जैसे कलाकारों ने तनाव भरे माहौल को हल्का करने में बड़ा योगदान दिया है। वीर दास इंडिया के स्टैंडअप कॉमेडियन हैं तो भारत के ठड्ढा हास्य कलाकारों (स्टैंड अप कॉमेडियन) में तेजी से उभरता नाम बना है। “Bas Kar Bassi Full Show” मेरठ के अनुभव सिंह बस्सी का तो सोशल मीडिया से लेके लाइव इवेंट तक हर जगह धूम मचा रखी हैं।
नहीं रुकेगा अब बस्सी
बस्सी का पहला ऑनलाइन शो कई एक प्लेटफार्म पर हैं पर मैंने इसे यूट्यूब पर देखा तो उसमें बस्सी ने अपने उस दौर का अनुभव सुनाया जब वे हॉस्टल में रहते थे। उनके विज़ुअल्स उनकी पिक्टुरेस शो में बैठे लोगो को जबर्दस्त काल्पनिक कथा लग रही थी। इस बार वह ओटीटी अमेजन प्राइम वीडियो पर आए हैं.
Bas Kar Bassi Full Show प्ले किया जो बेरोजगारी के दिनों पर बमबारी करने का काम था। एक हर्ष कलाकार की ये खासियत होनी चाहिए की वह अपने आसपास के लोगों को हर्ष की कहानिया या विसुअल सुनाये पर अगर बस्सी के शो की करे तो वह खुद पर तो हंसते ही अपने आसपास रह चुके लोगों की भी गजब ‘बेइज्जती’ करते चलते हैं।
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उनका स्टैंड अप कॉमेड करने का अपना अंदाज रहता है जो अंग्रेजी के हिसाब से ब्लैक कॉमेडी की लिस्ट में आता हैं, अगर इसे हिंदी में समजे कुछ ऐसे ” हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं’ इससे समझा जा सकता हैं। Bas Kar Bassi Full Show को जब आप देखेंगे तो आप जान सकेंगे की बस्सी अपनी ऑडियंस को ही अपनी कहानी का अभिनेता बना लेते हैं और उसकी जैम के जम के रेल बनाते हैं। फिर वो कला हो या गोरा हो बस्सी सबको क्रीम बता देते हैं। बसी बस नहीं करते स्टार्ट ही रहते हैं।

दिल्ली, मुंबई का ट्रैफिक अब इंटरनेशनल मुद्दा
बस्सी मुद्दा का मुद्दा ही यही है कि वह एक वकील हैं जो तो जाहिर है कि उनके मन में इस वकालत के काले चिड्डे होंगे ही। शुरुआत भी वह इसी पेशे से करते हैं। वकीलों के काले कारनामों की फिल्मों और टेलीविजन शोज में दिखने वाले सुपरपॉवर वाले नायकों और नेताओं के चोगे से कम्पायर करते हुए इसके पूरे बोरिया बस्तर खोल देते हैं। सीने पर लगे चार पेन से लेकर ऑटो में हाईकोर्ट से सुप्रीमकोर्ट जाती फाइल के जरिये वह दर्शकों के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश करते हैं और फिर बीच में एक राउंड मुंबई का भी लगाते हैं।
बस्सी का नाम ही अनुभव कहते हैं
इस ‘Bas Kar Bassi Full Show’, आपका अनुभव बहुत अच्छा है सर, बस्सी बोलते हैं, बस्सी का नाम अनुभव है। यही वह जगह है जहां शो एक खुल्लमखुल्ला कॉमेडी बन जाता है, और यहां तक कि बॉसी भी अंत में व्यस्त हो जाता है। यह शो का सबसे अच्छा हिस्सा है और इसे दोहराया जा सकता है। स्टॉल में च्युइंग गम जैसी प्रतीत होने वाली सामान्य घटनाओं को फैलाने का गुण भी होता है, लेकिन इसकी तन्य शक्ति, तन्य शक्ति कम नहीं होती है, क्या आप नहीं समझते हैं?
सप्ताहांत हास्य की एक बड़ी खुराक
‘ज़िंदाख़ियाँ पीट रही है बांद्रा तक बहसों में बचना’ सेगमेंट के वॉर्म-अप में और फिर नौकरी मिलने के बाद जब युवा कहते हैं, ‘काम बहुत मुश्किल है तो उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता। , मैं हर दिन जाता हूँ। कभी तुम मेरे पास भी आओगे’ काम से थके युवक की आँखों में आ जाता है। उन्होंने संकेत दिया है कि उनके पास काम का अनुभव है।
जबकि शो की शूटिंग मुंबई में हुई थी, बसी का कहना है कि शुरुआत में कुछ तकनीकी मुद्दों के कारण इसे दिल्ली में आयोजित किया गया था। शो को मानसून के मौसम में शूट किया गया है और कहानी को दोहराने के अलावा इसमें कॉमेडी का भी भरपूर तड़का है. बस्सी अपने प्रशंसकों के ‘पेट’ पर खेलने में माहिर हैं और शो के अंत में सभी का अभिवादन करते हैं और मंच पर उनके पैर छूते हैं। यह ‘सर्कस’ का ‘स्वाभिमान’ हो सकता है, लेकिन मेरठ के इस अभिनेता में कुछ तो गड़बड़ है।
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